लाइब्रेरी में जोड़ें

हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


पाता वह सम्मान है, जो देता सम्मान।

जो करता अपमान है, वह पाता अपमान।।

वह पाता अपमान, अस्ति को है खो देता ।

होता है उपहास, नहीं है कुछ कर लेता।।

कहें मिसिर कविराय, खुला है सब का खाता।

जमा राशि है कर्म, व्याज जिस का वह पाता।।






   6
2 Comments

Sachin dev

31-Dec-2022 06:09 PM

Well done

Reply

बेहतरीन

Reply